14 अक्टूबर 2011
नई दिल्ली। आज देश के समक्ष भ्रष्टाचार, आतंकवाद, कालाधन और हवाला कारोबार प्रमुख चुनौती बनी हुई है। भ्रष्टाचार तो वह कैंसर है जो दीमक की मानिंद हमारे समाज को खोखला कर रहा है। लेकिन इन बुराइयों से प्रभावी तरीके से लड़ा कैसे जाए, इसी ओर रोशनी डालती है प्रसिद्ध पत्रकार विनीत नारायण की पुस्तक 'भ्रष्टाचार, आतंकवाद और हवाला कारोबार'।
यह किताब चूंकि एक राह दिखाती है और सूचना के तेजी से प्रसार का युग है, ऐसे में कहा जा सकता है कि अब किसी अभिमन्यु को अकेले 'महाभारत' नहीं लड़ना पड़ेगा।
जीवन के हर कदम पर भ्रष्टाचार से सामना करने की वजह से लोग अब इस बीमारी से आजिज आ चुके हैं और यही वजह है कि समाज के हर कोने से इसके खिलाफ आवाज बुलंद होने लगी है। लेकिन इस बीमारी का मुकाबला हम सही तरीके से कैसे करें, यह एक यक्ष प्रश्न है। इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि ऐसे वक्त में पुस्तक 'भ्रष्टाचार, आतंकवाद और हवाला कारोबार' का सम्पादित संस्करण प्रकाशित हुआ है जो कि हर उन लोगों को मदद करेगा जो भ्रष्टाचार से लड़ना चाहते हैं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ पहले भी आवाजें उठीं, आंदोलन हुए लेकिन अब जरूरत इस बात की है कि इस समस्या से निपटने के लिए कौन से कारगर उपाय अपनाए जाएं। इस संदर्भ में यह समझना बेहद जरूरी है कि जैन हवाला केस क्या था, क्यों भ्रष्टाचार के खिलाफ इतनी बड़ी कामयाबी पाने के बावजूद इससे अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं हो पाए? अगर आपके मन में यह सवाल उठ रहा हो कि अब भ्रष्टाचार से कैसे संघर्ष किया जाए? तो यह पुस्तक आपकी मदद कर सकती है।
पुस्तक में कुल 30 अध्याय हैं जिनमें से कुछ प्रमुख अध्याय हैं--भ्रष्टाचार, आतंकवाद और हवाला कारोबार, क्या है जैन हवाला कांड?, जनहित याचिका जिसने रचा इतिहास, सांसदों की खतरनाक चुप्पी, हवाला कांड का असर, न्यायपालिका पर दबाव, मीडिया का भूमिका, राष्ट्रवादियों की भयंकर भूल।
विनीत नारायण द्वारा हवाला कांड के पर्दाफाश के बाद समूचे देश को यह उम्मीद बंधी थी कि अब भ्रष्टाचार पर लगाम कसेगी लेकिन ताकत और साधनों के बल पर ज्यादातर आरोपी मामले से बरी हो गए।
यह किताब हमें बताती है कि भ्रष्टाचार से मुकाबला करते वक्त हमें किन लोगों और हालात से सावधान रहने की जरूरत है।
(पुस्तक : भ्रष्टाचार, आतंकवाद और हवाला कारोबार। लेखक : विनीत नारायण। प्रकाशक: कालचक्र समाचार ट्रस्ट, नई दिल्ली।)
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